सूचना, शिक्षा और संचार सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) टीएससी के महत्वपूर्ण घघटक हैं। विगत में आपूर्ति आधारित सीआरएसपी को कार्यान्वित किया गया था जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण किया गया है। दुर्भाग्ययवश, इस भगीरथी प्रयास का वांछित परिणाम नहीं निकला, क्योंकि शौचालयों का मांग में कमी, कार्यक्रम कार्यान्वियन में भागीदारी का अभाव तथा, स्वच्छता सुविधाओं के स्वास्थ्यकारी और स्वच्छता पहलुओं के संबंध में जानकारी न होने के कारण व्या्पक इस्तेमाल नहीं किया जा सका था। अत: अब यह बात व्यापक तौर पर स्वीकार की जा रही है कि किसी भी जल और स्वच्छता कार्यक्रम में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए पानी और स्वच्छता सेवाओं की ही आवश्यकता पर्याप्ता नहीं होती। स्वच्छता कार्यक्रम के जागरुकता और शिक्षा घटक से ही व्यवहार में स्थायी बदलाव आता है। अनुभवों से पता चला है कि सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) अभियानों में शामिल समुदाय और बुनियादी संगठन बदलाव की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं और स्वच्छता आदतों को शीघ्र अपना सकते हैं। तथापि, इन प्रयासों में परिवार शौचालय बनाने के प्रति सामाजिक सांस्कृतिक व्यावहार में परिवर्तन लाया जाना चाहिए। स्वच्छाता बढ़ाने और शिक्षित होने से अच्छी आदतें अपनाई जाती हैं। गहन स्वच्छता कार्यकलाप भी विभिन्न चैनलों का इस्तेमाल करते हैं ताकि समुदाय की बैठकों, गृह दौरों, कक्षा संपर्क, पारंपरिक मीडिया, विभिन्न् सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्रियों आदि के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न चैननों का भी इस्तेमाल किया जा सके। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष स्थिति में स्वच्छता संवर्धन और शिक्षा को अपनाने के लिए कौन सी रणनीति अपनाई जानी चाहिए, जिससे लोगों को हस्तक्षेप के बाद सुरक्षित प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद मिले।
सूचना, शिक्षा और संचार सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) टीएससी के महत्वपूर्ण घघटक हैं। विगत में आपूर्ति आधारित सीआरएसपी को कार्यान्वित किया गया था जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण किया गया है। दुर्भाग्ययवश, इस भगीरथी प्रयास का वांछित परिणाम नहीं निकला, क्योंकि शौचालयों का मांग में कमी, कार्यक्रम कार्यान्वियन में भागीदारी का अभाव तथा, स्वच्छता सुविधाओं के स्वास्थ्यकारी और स्वच्छता पहलुओं के संबंध में जानकारी न होने के कारण व्या्पक इस्तेमाल नहीं किया जा सका था। अत: अब यह बात व्यापक तौर पर स्वीकार की जा रही है कि किसी भी जल और स्वच्छता कार्यक्रम में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए पानी और स्वच्छता सेवाओं की ही आवश्यकता पर्याप्ता नहीं होती। स्वच्छता कार्यक्रम के जागरुकता और शिक्षा घटक से ही व्यवहार में स्थायी बदलाव आता है। अनुभवों से पता चला है कि सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) अभियानों में शामिल समुदाय और बुनियादी संगठन बदलाव की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं और स्वच्छता आदतों को शीघ्र अपना सकते हैं। तथापि, इन प्रयासों में परिवार शौचालय बनाने के प्रति सामाजिक सांस्कृतिक व्यावहार में परिवर्तन लाया जाना चाहिए। स्वच्छाता बढ़ाने और शिक्षित होने से अच्छी आदतें अपनाई जाती हैं। गहन स्वच्छता कार्यकलाप भी विभिन्न चैनलों का इस्तेमाल करते हैं ताकि समुदाय की बैठकों, गृह दौरों, कक्षा संपर्क, पारंपरिक मीडिया, विभिन्न् सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्रियों आदि के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न चैननों का भी इस्तेमाल किया जा सके। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष स्थिति में स्वच्छता संवर्धन और शिक्षा को अपनाने के लिए कौन सी रणनीति अपनाई जानी चाहिए, जिससे लोगों को हस्तक्षेप के बाद सुरक्षित प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद मिले।
सूचना, शिक्षा और संचार सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) टीएससी के महत्वपूर्ण घघटक हैं। विगत में आपूर्ति आधारित सीआरएसपी को कार्यान्वित किया गया था जिसके अंतर्गत बड़ी संख्या में शौचालयों का निर्माण किया गया है। दुर्भाग्ययवश, इस भगीरथी प्रयास का वांछित परिणाम नहीं निकला, क्योंकि शौचालयों का मांग में कमी, कार्यक्रम कार्यान्वियन में भागीदारी का अभाव तथा, स्वच्छता सुविधाओं के स्वास्थ्यकारी और स्वच्छता पहलुओं के संबंध में जानकारी न होने के कारण व्या्पक इस्तेमाल नहीं किया जा सका था। अत: अब यह बात व्यापक तौर पर स्वीकार की जा रही है कि किसी भी जल और स्वच्छता कार्यक्रम में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए पानी और स्वच्छता सेवाओं की ही आवश्यकता पर्याप्ता नहीं होती। स्वच्छता कार्यक्रम के जागरुकता और शिक्षा घटक से ही व्यवहार में स्थायी बदलाव आता है। अनुभवों से पता चला है कि सूचना, शिक्षा और संचार (सूचना, शिक्षा एवं संचार) अभियानों में शामिल समुदाय और बुनियादी संगठन बदलाव की प्रक्रिया में तेजी ला सकते हैं और स्वच्छता आदतों को शीघ्र अपना सकते हैं। तथापि, इन प्रयासों में परिवार शौचालय बनाने के प्रति सामाजिक सांस्कृतिक व्यावहार में परिवर्तन लाया जाना चाहिए। स्वच्छाता बढ़ाने और शिक्षित होने से अच्छी आदतें अपनाई जाती हैं। गहन स्वच्छता कार्यकलाप भी विभिन्न चैनलों का इस्तेमाल करते हैं ताकि समुदाय की बैठकों, गृह दौरों, कक्षा संपर्क, पारंपरिक मीडिया, विभिन्न् सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्रियों आदि के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न चैननों का भी इस्तेमाल किया जा सके। यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि किसी विशेष स्थिति में स्वच्छता संवर्धन और शिक्षा को अपनाने के लिए कौन सी रणनीति अपनाई जानी चाहिए, जिससे लोगों को हस्तक्षेप के बाद सुरक्षित प्रक्रिया को बनाए रखने में मदद मिले।